Thursday, 19 December 2024

कसौटी 

आज के आधुनिक युग में कहीं  समर्पण का भाव नज़र आ जाए तो समझ लीजिए आज भी मानवता जीवित  है,ऐसा ही एक प्रसंग  सामने आया जब एक पत्नी अपने पति के लिए   हर संभव कोशिश कर कैसे समर्पण  की  मिसाल बनीं।

किरन एक उच्च शिक्षित महिला  होने के साथ साथ अपने परिवार के लिए हर कुछ करने के लिए  तैयार  रहने का जज़्बा रखती थी।
जीवन खुशहाल था , नवविवाहित जोड़े ने भी अपने सपने पूरे करने के लिए हर प्रयास कर रखे थे, उनका घरौंदा  हमेशा ही सकारात्मक ऊर्जा से भरा रहता था। समय भी पंख लगाए तेजी से आगे बढ़ते जा रहा था। जीवन में खुशियां  ही खुशियां थी। इन खुशियों में बढ़ोतरी का  एहसास  और तब हुआ जब किरन मां बनी।
अब सारे घर में किरण के बेटे की ही चर्चा होती।" कैसे हंस रहा है, ओ देखो  आज इसका पहला दांत भी आ गया"।वह दिन भी आया जब  गोलू किलकारी मारते हुए चलने लगा।
अपनी घर  गृहस्थी में  किरन इतनी मग्न थी कि  उसे वक्त की बेरहमी का भी एहसास भी नहीं हुआ।पर वक्त तो मानो मन बना कर बैठा ही था, और एक ऐसा भी दिन आया जब  किरन को वह  एक जोर का झटका  दे गया।
 अचानक से किरन को पता चला कि उसके पति को जिगर की बीमारी हो गई है।हर जगह दिखाया  किन्तु उसके पति के स्वास्थ में कोई सुधार नहीं हुआ।  एक दिन तो हद तब हो गई जब डॉक्टरों ने यह कह दिया कि यदि अपने मरीज को बचाना है तो लीवर ट्रांसप्लांट ही करना होगा।
समस्या विषम थी, लीवर ट्रांसप्लांट का काम कैसे होगा ? खर्च कितना आएगा? कौन लीवर देने के लिए तैयार होगा, सवाल अनगिनत थे, घर के सभी लोगों  ने  डाक्टर के कहने पर अपने सभी टेस्ट करवाए। पर डॉक्टर ने सभी  को लीवर ट्रांसप्लांट के लिए मना कर दिया। अब केवल किरन ही थी जिसके अभी टेस्ट होने बाकी थे,अभी तक सभी बच्चा छोटा है,ऐसा कहकर उससे मना कर रहे थे,किन्तु आज किरन एक ऐसे दोराहे पर खड़ी थी जहां आज उसे  अपने पति को बचाने के लिए  खड़ा होना था और साथ में अपने परिवार की खुशी को भी संजोकर रखना था।
सारे टेस्ट हुए ,वह दिन मुकर्रर हुआ और फिर वह दिन भी आया जब  ट्रांसप्लांट  होना था।किरन ने अपना लीवर  देकर न केवल  अपने पति को बचाया अपितु एक ठोस संदेश दे समाज में मिसाल भी कायम की।
आज फिर घर में वही खुशी और  खुशहाली आ गई, जो कुछ समय के लिए मानो रूठ गई थी। आज  अंग दान कर किरन समाज में   सबके लिए एक प्रेरणा बन चुकी थी।


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