मित्रता
दोस्ती और दोस्तों के किस्से हर भाषा हर ज़बान पर मीठी चीनी की तरह ही घुले हुए से मालूम होते हैं। ऐसी ही कहानी दो दोस्तों की है जो समय के साथ हर हाल में अपने को उस अटूट गठजोड़ में बांधे रखने की कसमें खा चुके थे।
हरी और श्याम अपने नामों के अनुरूप ही थे। दोनों का परिचय कक्षा चार में हुआ। हरी दिव्या भारती स्कूल का छात्र था। उस ज़माने में कक्षा में प्रवेश आसानी से ही हो जाया करते थे। समय सरल और सादगी से भर होता था। हरी कक्षा में अव्वल आया करता था। दिन अच्छे बीत रहे थे,पर मन में एक दोस्त की कमी हमेशा परेशान करती थी। वैसे कक्षा में सभी से बातें हो जाया करती थी पर वो बात नहीं थी।
जुलाई का महीना था ,उमस भरी गर्मी में स्कूल का ग्रीष्म अवकाश के बाद खुलना ,मन को पहले से ही तर बतर कर रहा था। ५ जुलाई से कक्षा प्रारम्भ हुई। स्कूल पहुंच कर देखा तो मानो मेला सा लगा हुआ था।
सभी छात्र अपनी टोलिओं में मग्न अपनी छुट्टिओं की कहानियाँ और देशाटन के किस्से कह रहे थे। हरी उस भीड़ में मानो अकेला सा था। वो तो कही भी नहीं गया था और कोई दिलचस्प किस्सा और कहानी उसके पास सुनाने को नहीं थी।
कक्षा का पहला घंटा शुरू हुआ। मास्टरजी अपने साथ एक नए बालक को लाए थे। मास्टरजी ने हरी से इस नए बालक को अपने साथ बैठाने के लिए कहा। इस नए बालक से फिर उन्होंने अपना परिचय देने को भी कहा।
बालक बोला मेरा नाम श्याम है , मैं जबलपुर से आया हूँ। सभी छात्र अब श्याम को अपनी टोली में शामिल करने के लिए उतावले हो गए। सभी के मन में नए शहर को जानने की चाह जो थी। मध्य अंतराल के समय सब ने श्याम को अपना परिचय दिया। हरी सबसे आखिर में आया उसे मालूम था कि श्याम उससे पक्की दोस्ती नहीं करेगा। वह उदास हो कर एक बेंच पर जा बैठा। श्याम की नज़रें शायद यह सब पहचान गयीं ,वह दौड़ता हुआ हरी के पास आया और बोला "दोस्त सब से मिलने में समय लग गया था थोड़ी देर हो गई ", बस वो दिन था और आज दोनों की दोस्ती को मानो पंख लगाए उड़े जा रही थी।
कक्षा चार से शुरू हुई मित्रता आज एक वृक्ष सी हो चुकी थी। दोनों दोस्त आज नए शहर में अब अपने भाग्य आजमाने के लिए चल पड़े। हर दुःख सुख में साथ देने का वचन दोनों ने ही लिया था। हरी आज एक कॉर्पोरेट जगत का नमी पहचान बन चुका था। श्याम एक नामी बैंक का मैनेजर था।
दोनों में किसी तरह की ऊंचनीच का भाव न था। किसी कुसंगति को अपने बीच में दोनों ने आने नहीं दिया। पर समय सदा एक सा कहाँ रहता है ? हरी अचानक काल के ग्रास में समां गया।
श्याम तो मानो टूट सा ही गया, पर जिंदिगी तो आगे बढ़ने का ही नाम है। अपने दोस्त को दिए हुए वचन को पूरा करने के लिए , श्याम ने हरी के घर की सारी ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले लीं और समाज में एक अनूठी दोस्ती की मिसाल कायम की।